🔶 एक बादशाह अपने कुत्ते के साथ नाव में यात्रा कर रहा था। उस नाव में अन्य यात्रियों के साथ एक दार्शनिक भी था।
🔷 कुत्ते ने कभी नौका में सफर नहीं किया था, इसलिए वह अपने को सहज महसूस नहीं कर पा रहा था।
🔶 वह उछल-कूद कर रहा था और किसी को चैन से नहीं बैठने दे रहा था। मल्लाह उसकी उछल-कूद से परेशान था कि ऐसी स्थिति में यात्रियों की हड़बड़ाहट से नाव डूब जाएगी।
🔷 वह भी डूबेगा और दूसरों को भी ले डूबेगा। परन्तु कुत्ता अपने स्वभाव के कारण उछल-कूद में लगा था। ऐसी स्थिति देखकर बादशाह भी गुस्से में था। पर, कुत्ते को सुधारने का कोई उपाय उन्हें समझ में नहीं आ रहा था।
🔶 नाव में बैठे दार्शनिक से रहा नहीं गया। वह बादशाह के पास गया और बोला - "सरकार! अगर आप इजाजत दें तो मैं इस कुत्ते को भीगी बिल्ली बना सकता हूँ।"
🔷 बादशाह ने तत्काल अनुमति दे दी। दार्शनिक ने दो यात्रियों का सहारा लिया और उस कुत्ते को नाव से उठाकर नदी में फेंक दिया।
🔶 कुत्ता तैरता हुआ नाव के खूंटे को पकड़ने लगा। उसको अब अपनी जान के लाले पड़ रहे थे। कुछ देर बाद दार्शनिक ने उसे खींचकर नाव में चढ़ा लिया।
🔷 वह कुत्ता चुपके से जाकर एक कोने में बैठ गया। नाव के यात्रियों के साथ बादशाह को भी उस कुत्ते के बदले व्यवहार पर बड़ा आश्चर्य हुआ।
🔶 बादशाह ने दार्शनिक से पूछा - "यह पहले तो उछल-कूद और हरकतें कर रहा था, अब देखो कैसे यह पालतू बकरी की तरह बैठा है?"
🔷 दार्शनिक बोला - "खुद तकलीफ का स्वाद चखे बिना किसी को दूसरे की विपत्ति का अहसास नहीं होता है। इस कुत्ते को जब मैंने पानी में फेंक दिया तो इसे पानी की ताकत और नाव की उपयोगिता समझ में आ गयी ।"
🔷 कुत्ते ने कभी नौका में सफर नहीं किया था, इसलिए वह अपने को सहज महसूस नहीं कर पा रहा था।
🔶 वह उछल-कूद कर रहा था और किसी को चैन से नहीं बैठने दे रहा था। मल्लाह उसकी उछल-कूद से परेशान था कि ऐसी स्थिति में यात्रियों की हड़बड़ाहट से नाव डूब जाएगी।
🔷 वह भी डूबेगा और दूसरों को भी ले डूबेगा। परन्तु कुत्ता अपने स्वभाव के कारण उछल-कूद में लगा था। ऐसी स्थिति देखकर बादशाह भी गुस्से में था। पर, कुत्ते को सुधारने का कोई उपाय उन्हें समझ में नहीं आ रहा था।
🔶 नाव में बैठे दार्शनिक से रहा नहीं गया। वह बादशाह के पास गया और बोला - "सरकार! अगर आप इजाजत दें तो मैं इस कुत्ते को भीगी बिल्ली बना सकता हूँ।"
🔷 बादशाह ने तत्काल अनुमति दे दी। दार्शनिक ने दो यात्रियों का सहारा लिया और उस कुत्ते को नाव से उठाकर नदी में फेंक दिया।
🔶 कुत्ता तैरता हुआ नाव के खूंटे को पकड़ने लगा। उसको अब अपनी जान के लाले पड़ रहे थे। कुछ देर बाद दार्शनिक ने उसे खींचकर नाव में चढ़ा लिया।
🔷 वह कुत्ता चुपके से जाकर एक कोने में बैठ गया। नाव के यात्रियों के साथ बादशाह को भी उस कुत्ते के बदले व्यवहार पर बड़ा आश्चर्य हुआ।
🔶 बादशाह ने दार्शनिक से पूछा - "यह पहले तो उछल-कूद और हरकतें कर रहा था, अब देखो कैसे यह पालतू बकरी की तरह बैठा है?"
🔷 दार्शनिक बोला - "खुद तकलीफ का स्वाद चखे बिना किसी को दूसरे की विपत्ति का अहसास नहीं होता है। इस कुत्ते को जब मैंने पानी में फेंक दिया तो इसे पानी की ताकत और नाव की उपयोगिता समझ में आ गयी ।"