रविवार, 13 नवंबर 2022

👉 उपासना

🔶 मित्रो ! उपासना का मुख्य उद्देश्य है ईश्वर के सान्निध्य को प्राप्त करना। जप,तप,पूजा, अर्चा,ध्यान आदि जो कुछ भी किया जा रहा है, वह सब परमात्मा के लिये ही किया जा रहा है, ऐसा अनुभव किया जाना चाहिए। अनुभव करना चाहिये परमात्मा उसकी पूजा स्वीकार कर रहा है। वह उसकी प्रार्थना अथवा कीर्तन को सुन रहा है। इस प्रकार सच्ची भावना से की गयी उपासना चमत्कार की तरह फलवती होती है। ऐसी जीवंत उपासना व्यक्ति के जीवन पर एक स्थायी प्रभाव डालती है। जो उत्कृष्ट विचारों, निर्विकार स्वभाव तथा सत्कर्मों के रूप में परिलक्षित होता है।

🔷 उपासना करता हुआ जो भी व्यक्ति गुण, कर्म,स्वभाव, एवं मन, वचन तथा कर्म से उत्कृष्टï नहीं बना तो यही मानना होगा, उसने उपासना की ही नहीं, केवल उपासना करने का नाटक किया है। उपासना के समय जितनी गहराई के साथ अपनी मानसिक भावना को परमात्मा के साथ संयोजित किया जायगा,वह अनुभव उतनी ही गहराई से जीवन में उतरेगा, वह स्थिर होता जायगा। ऐसी स्थिति आ जाने पर मनुष्य का आत्मोद्धार निश्चित है। उसके गुण,कर्म,स्वभाव परमात्मा जैसे पावन, उत्कृष्ट हो जायेंगे।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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👉 स्वभाव तथा भावना का परिष्कार

🔷 परिवार की आत्मीयता की भावना जब बढ़ती है तो मनुष्य अपनों के लिए बहुत कुछ सोचता और करता है। हमारा मन इन दिनों अपने आत्मीयजनों को ऐसे बनाने के लिए मचल रहा है कि इस निर्माण को देखकर देखने वाले आश्चर्यचकित रह जायें और यह अनुभव करें कि युग-निर्माण योजना कोई शेखचिल्ली की कल्पना नहीं, वरन् एक अत्यंत सरल और पूर्ण व्यावहारिक पद्धति है जिसे अपनाया और व्यापक बनाया जा सकना न तो कठिन है और न असंभव।

🔶 समझा यह जाता है कि लोगों का स्वभाव जन्म से ही बना आता है, उसे बदला और बनाया नहीं जाता। इस धारणा को भ्रान्त सिद्ध करने का हमारा विचार है। हम अपनों को बदलना चाहते हैं। अपनी प्रयोगशाला में हम बबूलों को चन्दन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। विज्ञान के द्वारा भौतिक जगत में इतने आश्चर्यजनक परिवर्तन हो रहे हैं तो ज्ञान के द्वारा मनुष्य की अन्त:स्थिति में भी आशाजनक परिवर्तन की आशा की जा सकती है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-६६ (६.१०)

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👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...