शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

👉 आत्मचिंतन के क्षण 5 Jan 2024

🔶 आध्यात्मिक दृष्टिकोण का अर्थ है मन की उच्च भूमिका में प्रवेश करना। आध्यात्मिक दृष्टिकोण को प्रकट करने वाला एक अत्यन्त संक्षिप्त साधना है- और वह है अपनी आत्मा का विकास। शक्ति का एक वृहत् परिमाण इस भण्डार में एकत्रित है, उसे संकल्प, सूचना तथा मनोबल से विकसित करना पड़ता है। हमारी आत्मा में महान् शक्ति इसीलिए दी गई है कि हम उसका जितना भी सम्भव हो सदुपयोग करें, उससे यथेष्ट लाभ उठावें और उस अनन्त चेतन तत्व की समीचीन रूप से अभिवृद्धि करें।

🔷 गुरु- शिष्य संबंध बड़ा कोमल, किन्तु कल्याणकारी होता है। गुरु शिष्य को पुत्रवत् समझकर, उसे टेढ़े- मेढ़े मागों से निकाल ले जाते हैं, जिन्हें शिष्य के लिए समझ पाना कठिन होता है ।। इसलिए कई बार शिष्य अभिमान में आकर गुरु की अवज्ञा कर जाता है, इच्छा तथा आदेश की अवहेलना करता है। यद्यपि गुरु उसे कुछ भी न कहें, किन्तु फिर भी वह संभावित लाभ से वंचित रह जाता है। इसके लिए शिष्य में गुरु के प्रति सम्पूर्ण समर्पण की आवश्यकता है।

🔶 कुविचारों और दुःस्वभावों से पीछा छुड़ाने का तरीका यह है कि सद्विचारों के सम्पर्क में निरन्तर रहा जाये उनका स्वाध्याय, सत्संग और चिंतन- मनन किया जाये। साथ ही अपने सम्पर्क क्षेत्र में सुधार कार्य जारी रखा जाये। सत्प्रवृत्ति सम्वर्धन का सेवा कार्य किसी न किसी रूप में कार्यान्वित करते रहा जाये। इतना करने पर ही मन को स्वच्छ, निर्मल व स्वयं को प्रगति के पथ पर अग्रगामी बनाए रखा जा सकता है।

✍🏻 पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
 
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