बुधवार, 9 नवंबर 2016

👉 मैं क्या हूँ? What Am I? (भाग 24)

🌞 दूसरा अध्याय

🔴 अपने को प्रकाश केन्द्र अनुभव करने के लिए तर्कों से काम न चलेगा, क्योंकि हमारे तर्क बहुत ही लंगड़े और अन्धे हैं। तर्कों के सहारे यह नहीं सिद्घ हो सकता कि वास्तव में वही हमारा पिता है, जिसे पिताजी कहकर सम्बोधन करते हैं। इसलिए योगाभ्यास के दैवी अनुष्ठान में इस अपाहिज तर्क का बहिष्कार करना पड़ता है और धारणा, ध्यान एवं समाधि को अपनाना पड़ता है। आत्म-स्वरूप के अनुभव में यह तर्क-वितर्क बाधक न बनें इसलिए कुछ देर के लिए इन्हें विदा कर दो।

🔵  विश्वास रखो, इन पंक्तियों का लेखक तुम्हें भ्रम में फँसाने या कोई गलत हानिकारक साधन बताने नहीं जा रहा है। उसका निश्चित विश्वास है और वह शपथपूर्वक तुमसे कहता है कि हे मेरे ऊपर विश्वास रखने वाले साधक! यह ठीक रास्ता है। मेरा देखा हुआ है। आओ, पीछे-पीछे चले आओ, तुम्हें कहीं धकेला नहीं जायेगा, वरन् एक ठीक स्थान पर पहुँचा दिया जाएगा। साधन की विधि- बार-बार ध्यानावस्थित होकर मानस-लोक में प्रवेश करो। अपने को सूर्य समान प्रकाशवान सत्ता के रूप में देखो और अपना संसार अपने आप-पास घूमता हुआ अनुभव करो। इस अभ्यास को लगातार जारी रखो और इसे हृदय पट पर गहरा अंकित कर लो तथा इस श्रेणी पर पहुँच जाओ कि जब तुम कहो कि 'मैं' तब उसके साथ ही चित्त में चेतना, विचार, शक्ति और प्रतिभा सहित केन्द्र स्वरूप चित्र भी जाग उठे। संसार पर जब दृष्टि डालो, तो वह आत्म-सूर्य की परिक्रमा करता नजर आवे।

🔴 उपरोक्त आत्म-स्वरूप दर्शन के साधन में शीध्रता होने के लिए तुम्हें हम एक और विधि बताते हैं। ध्यान की दशा में होकर अपने ही नाम को बार-बार, धीरे-धीरे, गम्भीरता और इच्छापूर्वक जपते जाओ। इस अभ्यास से मन आत्म-स्वरूप पर एकाग्र होने लगता है। लार्ड टेनिसन ने अपनी आत्म-शक्ति को इसी उपाय से जगाया था। वे लिखते हैं-''इसी उपाय से हमने कुछ आत्म-ज्ञान प्राप्त किया है। अपनी वास्तविकता और अमरता को जाना है एवं अपनी चेतना के मूल स्रोत का अनुभव कर लिया है।''

🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
http://literature.awgp.org/book/Main_Kya_Hun/v4.2

👉 *हमारी युग निर्माण योजना (भाग 13)

🌹 युग-निर्माण योजना का शत-सूत्री कार्यक्रम

🔵 4. स्वाद की आदत छोड़ी जाय— अचार, मुरब्बे, सिरका, मिर्च, मसाले, खटाई, मीठा की अधिकता पेट खराब होने और रक्त को दूषित करने का कारण होती है। इन्हें छोड़ा जाय। हल्का-सा नमक और जरूरत हो तो थोड़ा धनिया, जीरा सुगन्ध के लिये लिया जा सकता है, पर अन्य मसाले तो छोड़ ही देने चाहिए। शरीर के लिये जितना नमक, शकर आवश्यक है उतना अन्न शाक आदि में पहले से ही मौजूद है।

🔴 बाहर से जो मिलावट की जाती है वह तो स्वाद के लिए है। हमें स्वाद छोड़ना चाहिये। अभ्यास के लिये कुछ दिन तो नमक मीठा बिलकुल ही छोड़ देना चाहिये और अस्वाद व्रत पालन करना चाहिये। आदत सुधर जाने पर हलका-सा नमक, नीबू, आंवला, अदरक, हरा धनिया, पोदीना आदि को भोजन में मिलाकर उसे स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। सूखे मसाले स्वास्थ्य के शत्रु ही माने जाने चाहिये। मीठा कम से कम लें। आवश्यकतानुसार गुड़ या शहद से काम चलायें।

🔵 5. शाक और फलों का अधिक प्रयोग— शाकाहार को भोजन में प्रमुख स्थान रहे। आधा या तिहाई अन्न पर्याप्त है। शेष भाग शाक, फल, दूध, छाछ आदि रहे। ऋतु-फल सस्ते भी होते हैं और अच्छे भी रहते हैं। आम, अमरूद, बेर, जामुन, शहतूत, पपीता, केला, ककड़ी, खीरा, तरबूजा आदि-आदि अपनी-अपनी फसलों पर काफी सस्ते रहते हैं। लौकी तोरई, परवल, टमाटर, पालक, मेथी आदि सुपाच्य शाकों की मात्रा सदा अधिक ही रखनी चाहिये।

🔴 गेहूं, चना आदि को अंकुरित करके खाया जाय तो उनसे बादाम जितना पोषक तत्व मिलेगा। उन्हें कच्चा हजम न किया जा सके तो उबाला, पकाया भी जा सकता है। अन्न, शाक और फलों के छिलकों में जीवन तत्व (विटामिन) बहुत रहता है, इसलिये आम, केला, पपीता आदि जिनका छिलका आवश्यक रूप से हटाना पड़े उन्हें छोड़कर शेष के छिलके खाये जाने ही ठीक हैं।

🌹 क्रमशः जारी
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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घबराए नहीं, ये हैं उपाय :: 500, 1000 के नोट बंद:

काले धन पर लगाम लगाने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सरकार ने 500 और 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को अमान्य करार दे दिया है। अब इन नोटों के जरिए लेन-देन नहीं किया जा सकता है। काले धन वालों को झटका लेने के लिए सरकार की तरफ से अचानक इस तरह का फैसला लिया जाना जरूरी था, लेकिन इससे फौरी तौर पर आम लोगों की भी परेशानी बढ़ गई है। घबराने की जरूरत नहीं है, आम लोगों के लिए ये हैं उपाय:

1. शांत रहें, आपके पास पुराने नोटों को बैंक या पोस्ट ऑफिस में बदलने या जमा करने के लिए 50 दिन हैं। बाकी नोट और सिक्के पहले की तरह चलते रहेंगे।


2. इमरजेंसी की जरूरतों के लिए ये उपाय हो सकते हैं-

सरकार की तरफ से मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थितियों के लिए कुछ छूट दी गई है। 8 नवंबर की आधी रात से अगले 72 घंटों तक यानी 11 नवंबर की आधी रात तक सरकारी अस्पतालों में 500 और 1000 के पुराने नोट स्वीकार किए जाएंगे। इस दौरान सरकारी अस्पतालों के दवाखानों में डॉक्टरों की पर्ची पर दवा खरीदने में पुराने नोटों का इस्तेमाल हो सकता है।

रेल टिकट बुकिंग और एयर ट्रेवल बुकिंग लिए पहले 72 घंटों तक पुराने नोटों का इस्तेमाल हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेश से आने या विदेश जाने वाले यात्रियों के लिए 5 हजार रुपये मूल्य के पुराने नोटों को बदले जाने की सुविधा उपलब्ध रहेगी।

शुरुआती 72 घंटों के लिए सरकारी कंपनियों के अधिकृत पेट्रोल, डीजल और सीएनजी स्टेशनों, दूध के बूथों, सरकारी को-ऑपरेटिव स्टोर्स पर पुराने नोट चलेंगे।

इलेक्ट्रॉनिक फंड पेमेंट, क्रेडिट और डेबिट कार्ड से लेन-देन पर कोई रोक नहीं

3. वॉलिट्स, घर की आलमारी, ड्रावर्य, बैंक के लॉकर्स समेत उन सभी जगहों पर जहां-जहां आपने करंसी रखी हो वहां से नोट इकट्ठा कर लें।

4. इन नोटों में से 500 और 1000 के नोटों को छांट लें और अच्छे से गिन लें।

5. जाहिर है, बैंकों और डाक घरों में 10 नवंबर से लंबी कतारें रहेंगी, इसलिए इसके लिए तैयार रहें। 10 नवंबर से 24 नवंबर तक 4 हजार रुपये मूल्य तक के पुराने नोट बदले जा सकेंगे। 25 नवंबर के बाद यह सीमा बढ़ाई जाएगी। अपने साथ आईडी कार्ड ले जाना न भूलें।

6. शुरुआत में हर दिन सिर्फ 10 हजार रुपये और हर सप्ताह 20 हजार रुपये ही निकाले जा सकेंगे, इसलिए जहां तक संभव हो, खरीदारी के लिए क्रेडिट/डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करें।

7. अगर 30 दिसंबर तक आप अपने सभी पुराने नोट नहीं जमा कर पाते हैं तो कोई बात नहीं। तब भी आपके पास एक रास्ता होगा। आप आरबीआई के अधिकृत कार्यालयों पर अपना आईडी कार्ड दिखाकर एक घोषणा पत्र भरकर 31 मार्च 2017 तक इन पुराने नोटों को जमा कर सकेंगे।

8. जहां तक संभव हो, जो भी नोट जमा करें या बदलें उसके सीरियल नंबर की सूची तैयार रखें। आरबीआई पहले ही ऐलान कर चुका है कि बैंक या डाक घरों में जमा या एक्सचेंज किए जा रहे नोटों पर नजर रखी जाएगी। बहुत मुमकिन है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी इस पर नजर रखेगी कि कौन कितना धन जमा या एक्सचेंज कर रहा है, इसलिए उतना ही नोट बदलें जितने के बारे में आप टैक्स डिपार्टमेंट को एक्सप्लेन करना चाह रहे हैं।

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...