गुरुवार, 24 अगस्त 2023

👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 24 Aug 2023

मनुष्य शरीर में प्रसुप्त देवत्व का जागरण करना ही आज की सबसे बड़ी ईश्वर पूजा है। युगधर्म इसी के लिए प्रबुद्ध आत्माओं का आवाहन कर रहा है। नवयुग निर्माण की आधारशिला यही है। जिस असुरता की दुष्प्रवृत्तियों ने संसार को दुःख दारिद्रय भरा नरक बनाया, जिस अविवेक ने परमात्मा के पुत्र आत्मा को निकृष्टतम कीड़े से गये गुजरे स्तर पर ला पटका, उसका उन्मूलन देवत्व के अभिवर्धन से ही होना है। अंधकार को मिटाने के लिए प्रकाश उत्पन्न करने के अतिरिक्त और कोई मार्ग नहीं।

देवत्व का जागरण एवं पोषण करने की तैयारी ही वह प्रयत्न है जिसके फलस्वरूप वर्तमान असुर अंधकार का निराकरण होगा। परिपुष्ट देवत्व से वह व्यापक प्रभाव उत्पन्न होगा जिससे प्रभावित होकर लोग पशुता और पिशाच वृत्ति का दुष्परिणाम समझ सकने योग्य विवेक एवं उन दुष्प्रवृत्तियों को त्याग सकने योग्य साहस कर सकें।

आशा करनी चाहिए कि वह दिन हम लोग अपनी इन्हीं आँखों से इसी जीवन में देखेंगे, जबकि अगणित देव प्रवृत्ति के व्यक्ति अपने-अपने स्वार्थों को तिलांजलि देकर विश्व के नवनिर्माण में ऐतिहासिक महापुरुषों की तरह प्रवृत्त होंगे और इन दिनों जिस पशुता एवं पैशाचिक प्रवृत्ति ने लोकमानस पर अपनी काली चादर बिछा रखी है उसे तिरोहित करेंगे। अनाचार का अंत होगा और हर व्यक्ति अपने चारों ओर प्रेम, सौजन्य, सद्भाव, न्याय, उल्लास, सुविधा एवं सज्जनता से भरा सुख-शान्तिपूर्ण वातावरण अनुभव करेगा। उस शुभ दिन को लाने का उत्तरदायित्व देव वर्ग का है।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

👉 महिमा गुणों की ही है

🔷 असुरों को जिताने का श्रेय उनकी दुष्टता या पाप-वृति को नहीं मिल सकता। उसने तो अन्तत: उन्हें विनाश के गर्त में ही गिराया और निन्दा के न...